Thursday, June 23, 2016

मुद्दत से

मुद्दत से मेरे पास कोई ऐसी खबर नही
जिसे सुन मेरे दोस्त खुशी से झूम उठे और
बिना मेरी सहमति के कर ले पार्टी प्लान
और मुझे लगभग चिढ़ाते हुए कहे
बड़े आदमी हो गए हो बड़े अब हमारे लिए वक्त कहाँ !

मेरे पास जो खाली वक्त है
ये उसका सबसे क्रूर पक्ष है

मुद्दत से मेरा कोई रिश्तेंदार
मुझसे मिलनें को लेकर उत्साहित नही है
इंतजार का औपचारिक उलाहना सुनें
मुझे अरसा हो गया
एमए पीएचडी होने के बावजूद कोई नही रखता अपेक्षा कि
उनके बच्चों के करियर पर मैं कोई सलाह दूं
बल्कि यदि बच्चें मेरे इर्द गिर्द इकट्ठा हो जाए
उन्हें फ़िक्र होने लगती है
कहीं वे मुझे अपना आदर्श न मान लें
और ढीठता से सीख न लें
असफलताओं का ग्लैमराईजेशन

मुद्दत से मेरी बातों में नूतनता का नितांत अभाव है
कुछ पढ़ी पढ़ाई सुनी सुनाई बातों के जरिए
बचाता रहा हूँ अपने कथित ज्ञान की आभा
पिछले दिनों एक बच्चें ने सत्रह का पहाड़ा पूछ लिया मुझसे
जब मैंने कहा मुझे नही आता
उसनें इस तरह देखा मुझे
जैसे मैं लगभग अनपढ़ हूँ

कुछ पढ़े लिखे दोस्तों की बातचीत से चुपचाप चुराता रहा हूँ विचार तर्क और मान्यताएं
कविताओं से सीखता रहा हूँ प्रेम को इस तरह पेश करना
जैसे अर्थ से बड़ी दरिद्रता प्रेम की दरिद्रता है
जिनका मैं कर्जमंद हूँ
जब वो पढ़तें है मेरी प्रेम कविताएँ
उनकी खीझ चरम पर होती है
इतने आत्मविश्वास से बोलता हूँ झूठ कि
सत्य को संदेह होने लगता है खुद पर
यह मेरा अधिकतम वाचिक कौशल है

मुद्दत से मैंने खुद से बातचीत नही है
अपने आसपास जमा किया है मैंने इतना शोरगुल कि
न सुन पाऊं दिल या दिमाग की एक भी बात
इसलिए, मैं जो बोलता हूँ वो एक सीमा तक जरूर मौलिक है

मुद्दत से मेरे कुछ शुभचिंतक प्रतीक्षारत है
उन्हें लगता है मेरे अंदर अपार सम्भावनाएं है
बस मैं मन का थोड़ा अस्थिर हूँ
हनुमान की तरह भूल गया हूँ अपना ही बल
एक दिन करूँगा मैं कुछ बड़ा

मैं उनकी मासूम उम्मीदों पर ठहाका मार हंसना चाहता हूँ
मगर हंसता नही
क्योंकि ये अपेक्षाओं का नही मनुष्यता का निरादर होगा
नही कर सकेगा फिर कोई किसी पर भरोसा
नही देख सकेगा कोई साँझे स्वप्न

मुद्दत से यही नैतिकता मेरे जीवन में बचाए हुए है
थोड़ी बहुत औपचारिक प्रतिबद्धता

मुद्दत से 'गुड फॉर नथिंग' जैसे सांसारिक उत्पाद का
ब्रांड एम्बेसडर बना हुआ हूँ मैं
अपनी तमाम थकान के वावजूद
किसी को नही है सन्देह मेरी प्रचार क्षमता पर
मेरी उत्पादकता से षड्यंत्र की बू आती है
बहुधा लोगो को लगता है कि
बहुत से मुरीद बनाए मैं बड़े वली वाले मजे में हूँ

जबकि सच तो यह है
मुद्दत से मैं कहाँ हूँ मुझे खुद नही पता
मैं गुमशदा हूँ या गमज़दा ये बता पाना भी मुश्किल है

मुद्दत से मैं बस जहाँ हूँ वहीं नही हूँ।

©डॉ.अजित

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