मृतक के लिए
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थोड़ी
सी शिकायतें
थोड़ा
सा अपराधबोध
थोड़ी
सी ग्लानि
और
छिटपुट बचा हुआ प्रेम
एकसाथ
मिलकर करते हैं
मृतक
का तर्पण
मृतक
मुड़-मुड़ कर देखता है
कुछ
समय तक तक
जब
सब कुछ होने लगता है सामान्य
वो
देखना बंद कर कूद जाता होगा आगे की तरफ
आगे
की तरफ कुछ भी हो सकता है
स्वर्ग-नर्क,शून्य
या फिर से एक नया जीवन
मृतक
की स्मृतियाँ दास बनने लगती हैं
अवसर-तीज-त्योहार
की
समाप्त
जीवन और पीछे बचे जीवन के अलावा भी
चलता
है एक जीवन समानांतर
उस
जीवन को देखने के लिए
मरना
नहीं पड़ता
बस
जीना पड़ता है लगातार निरुद्देश्य
मृतक
से मिलने के मृत्यु नहीं
जीवन
ही माध्यम है
मृत्यु
के जरिए नहीं मिला जा सकता
किसी
परिजन या दोस्त से
इसलिए
मृत्यु मृतक के लिए
एक
अंतिम धक्का है
सबको
दूर निकल जाने के लिए
और
पीछे बचे लोगो के लिए
एक
आवश्यक तैयारी
ताकि
वे चोटिल होने के भय से धक्के से
बचने
के अवसर न तलाश सके.
©डॉ.
अजित
सुंदर रचना
ReplyDeleteVery Nice Post.....
ReplyDeleteWelcome to my blog!