Tuesday, May 31, 2022

मुद्दत

 मैं मुद्दत से नहीं सोया

वैसी नींद

जिसके बाद उठकर हँसना अच्छा लगे


मैं मुद्दत से नहीं रोया उस तरह

कि लगे धुल गए मर के सब संताप


मैं मुद्दत से नहीं मिला किसी से उस अंदाज़ में

कि एक बार फिर से मिलने की बची रहे इच्छा


मैंने मुद्दत से नहीं की ऐसी यात्रा 

जिसे बार-बात बताने का दिल करे दोस्तों को 


मैंने मुद्दत से नहीं बता पाया मैं किसी को

दिल की ऐसी कोई बात जिसे सुन चुप्पी लग जाए


मुद्दत से करता रहा हूँ उपरोक्त सभी काम 

मगर मुद्दत से नहीं किया एक भी काम 

जैसा करना चाहिए था मुझे 


मुद्दत से मेरे अंदर एक खेद है 

जिसे नहीं दे पाता मैं कोई एक आकार


मुद्दत से मैंने ऐसी कविता नहीं लिखी 

जिसे लोग पढ़े कविता की तरह और समझे एक कहानी


मुद्दत से मैं देख रहा हूँ शून्य में

बिना किसी दार्शनिकता के 


सम्भव है


मुद्दत बाद जब यह बात पढ़ेंगे लोग

तो शायद कहेंगे एक स्वर में यह एक बात


मुद्दत से दिखा नहीं है ऐसा कोई शख्स

मुद्दत से मिला नहीं है यह शख्स।


©डॉ. अजित



7 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति...कोरोनाकाल के बाद कई चीज़ें बिखर गईं, कई बातें मुद्दतों से नहीं हुई |

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ जून २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. मुद्दत बाद पढ़ा आपका लिखा । बेहतरीन

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  4. बहुत अच्छी और सुंदर रचना

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  5. बहुत सुंदर रचना

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