लिखने के लिए
बहुत कुछ लिखा जा सकता हैमगर तुम्हारे बारे में लिखते हुए
अब कहने से अधिक बचाने का जी चाहता है
मैं कह सकता हूँ एक बात
कि अब मेरे पास कोई बात नहीं बची है
मेरे पास जो बचा है
वो इतना निजी है कि
उससे कोई बात नहीं बनाई जा सकती है
जीने और कहने के मध्य
मैं अटक गया हूँ एक खास बिन्दु पर
जहाँ से देखने के लिए
एक आँख का बंद करना है जरूरी
और फिलहाल
मैं इतना बड़ा जोखिम नहीं ले सकता
क्योंकि
तुम्हें धीरे-धीरे दूर और निकट आते-जाते देख
मैं हो गया हूँ दृष्टिभ्रम का शिकार
मैं बता सकता हूँ
एक नई बात
बशर्ते तुम्हें यह पुरानी लगे
मैं कर सकता हूँ पुराने दिनों को याद
बशर्ते तुम उन्हें बचकाना न कहो।
© डॉ. अजित
सत्य और सत्य स्वीकारना कठिन होता है| सुन्दर|
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteस्मृतियों की बौछारों से भावनाओं की गीला
ReplyDeleteकरते रहना जीवन.के स्पंदन का द्योतक है।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १४ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
एक आँख का बंद करना है जरूरी
ReplyDeleteचलो कर लिए एक आँख का बंद
वाह!सुन्दर सृजन।
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