Sunday, April 9, 2023

नई बात

 लिखने के लिए

बहुत कुछ लिखा जा सकता है
मगर तुम्हारे बारे में लिखते हुए
अब कहने से अधिक बचाने का जी चाहता है

मैं कह सकता हूँ एक बात
कि अब मेरे पास कोई बात नहीं बची है

मेरे पास जो बचा है
वो इतना निजी है कि
उससे कोई बात नहीं बनाई जा सकती है

जीने और कहने के मध्य
मैं अटक गया हूँ एक खास बिन्दु पर

जहाँ से देखने के लिए
एक आँख का बंद करना है जरूरी

और फिलहाल
मैं इतना बड़ा जोखिम नहीं ले सकता

क्योंकि
तुम्हें धीरे-धीरे दूर और निकट आते-जाते देख
मैं हो गया हूँ दृष्टिभ्रम का शिकार

मैं बता सकता हूँ
एक नई बात
बशर्ते तुम्हें यह पुरानी लगे
मैं कर सकता हूँ पुराने दिनों को याद
बशर्ते तुम उन्हें बचकाना न कहो।

© डॉ. अजित

5 comments:

  1. सत्य और सत्य स्वीकारना कठिन होता है| सुन्दर|

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  2. स्मृतियों की बौछारों से भावनाओं की गीला
    करते रहना जीवन.के स्पंदन का द्योतक है।
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १४ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. एक आँख का बंद करना है जरूरी

    चलो कर लिए एक आँख का बंद

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  4. वाह!सुन्दर सृजन।

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