कवि
के लिए कविता से अधिक मुश्किल था
किताब बेचना
इसलिए
अप्रकाशित रह गयी
बहुत सी कविताएं
जिन
प्रकाशकों को किताब बेचने के लिए
कवि की जरूरत नहीं थी
उन
प्रकाशकों के दरवाजे बंद थे कवि के लिए
इसलिए
भी कुछ कविताएं बंद रही
मन के दरवाजों में बंद सदा
यह
कोई शिकायत करने की बात नहीं
यह एक परंपरा की बानगी भर थी
कवि को शिकायत नहीं करनी चाहिए
उसे
लिखना चाहिए अपनी शर्तों
पढ़े जाने की कामना और छपने की ज़िम्मेदारी छोड़कर
अप्रकाशित
कवियों को तलाश लिया जाता है
उस दौर में जब होती हैं उनकी सबसे ज्यादा जरूरत
इसलिए
कविता के लोकार्पण की चिंता मिथ्या है
लिखना ही अंतिम सत्य
यह
कोई दार्शनिक उक्ति नहीं
एक
अज्ञात हस्तक्षेप है
जिसके
सहारे बचे हैं
दुनिया
के सभी अज्ञात कवि
और
उनकी कविता।
©
डॉ. अजित
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteखुद के अन्दर ही कहीं छपे या छिपे रहने के लिए | सुन्दर |
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