Saturday, August 13, 2011

बात-बेबात

सवालों की ज़बान मे जवाबों की बातें करें

मिलने की आरज़ू मे खो जाने की बातें करें


मुडकर भी जिसने देखा न हो एक बार

हम फिर क्यों उसके जाने की बातें करें


जब कशिस खो गई गुलदानों की

फिर कैसे उनके सजाने की बातें करें


मौत तो मारेगी एक बार ये तय है

आज कुछ जीने के बहानों की बातें करें


हौसला उससे उधार मिल ही नही सकता

जो महफिल से बेबात जाने की बातें करें


माना कि वो बदनाम है बहुत महफिलों में

फिर भी सभी उसी को बुलानें की बातें करें


डॉ.अजीत

6 comments:

  1. मौत तो मारेगी एक बार ये तय है

    आज कुछ जीने के बहानों की बातें करें


    बहुत खूब ..अच्छी गज़ल

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  2. एक से एक उम्दा शेर,सुबह की शुरुआत इससे बेहतरीन हो सकती है क्या? आंनद आ गया जी।

    मौत तो मारेगी एक बार ये तय है
    आज कुछ जीने के बहानों की बातें करें।

    तुसी छा गए जी।

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  3. "माना की बदनाम है बहुत महफिलों में,
    फिर भी सभी उसी को बुलाने की बातें करें,"

    बहुत खूब अजीत भाई, बदनाम शब्द को लेकर किसी शायर की एक कल्पना आप के साथ साझा करना चाहूँगा, गौर करें----------

    बदनाम मेरे प्यार का अफसाना हुआ है,
    दीवाने भी कहते है के दीवाना हुआ है,
    रिश्ता था तभी तो किसी बे-दर्द ने तोड़ा,
    अपना था तभी तो कोई बेगाना हुआ है.
    बादल की तरह आके बरस जाइए इक दिन,
    दिल आप के होते हुए, विराना हुआ है,
    बजते है ख्यालों में तेरी याद के घुँघरू,
    कुछ दिन से मेरा घर भी परी-खाना हुआ है,
    मौसम ने बनाया है निगाहों को शराबीं,
    जिस फूल को देखुं वही पैमाना हुआ है.

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  4. वाह अजीत भाई दिल कुश हो गया आपकी इस मंजुल कृति को पढ़ कर. क्या बात कही है आपने, 'सवालों की ज़बान मे जवाबों की बातें करें मिलने की आरज़ू मे खो जाने की बातें करें' वाह वाह बहुत खूब..!!

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  5. बेहतरीन ...... जिंदगी का हर दामन पकड कर रख लिया आपने तो ..... really amazing

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  6. बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

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