शेष फिर...

बातें बहुत कहना चाहता हूं, कहता भी हूं, पर हमेशा अधूरी रह जाती हैं, सोचता हूं, कहूंगा...शेष फिर...

Friday, September 26, 2025

अनकहा

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  कविता की तरफ लौटता मनुष्य कविता की बात नहीं करता प्रेम की तरफ लौटता अंधविश्वासी बन जाता है जीवन की तरफ लौटता हुआ दर्शन भूल जाता ...
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Wednesday, September 10, 2025

अर्थात !

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  तितली और फूल के मध्य सौन्दर्य था मगर दृष्टि की यह सीमा थी वो तितली के प्रयासों को सौन्दर्य समझती रही. अर्थात ! जो मध्य है उसे दे...
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Friday, June 20, 2025

अप्रेम की कविताएं

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  अप्रेम की कविताएं - प्रेम उनके लिए नहीं था जो प्रेम की तलाश में चले थे कई प्रकाश वर्ष प्रेम उनके लिए था जिन्हें यह मिला था अकस्म...
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Tuesday, February 18, 2025

मृतक के लिए

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  मृतक के लिए -- थोड़ी सी शिकायतें थोड़ा सा अपराधबोध थोड़ी सी ग्लानि और छिटपुट बचा हुआ प्रेम एकसाथ मिलकर   करते हैं मृतक का तर्पण...
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Sunday, January 19, 2025

कौतूहल

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उनके पास सवाल थे जवाब सुनने का धैर्य नहीं वे सवाल को उछालते थे गेंद की तरह  और व्यस्त हो जाते थे आसपास फिर वो सवाल गेंद की शक्ल में टप्पा खा...
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Monday, October 7, 2024

कृपया

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 'कृपया' एक निवेदन है और आग्रह भी 'कृपा' जिसमें  किसी एक का परिणाम बन जाती है। ** अपनी छाया के अंदर कूदकर देखता हूँ  तो पाता...
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Wednesday, September 25, 2024

मिलना

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 अब हम कभी नहीं मिलेंगे यह बात कहने में जितनी खराब लगी उससे कहीं ज्यादा खराब था मिलने की प्रत्याशा में घुलते रहना रात-दिन जैसे ठंडे पानी में...
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Wednesday, August 21, 2024

रक्त संबंध

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  (भाई) - शास्त्र ने उन्हें भुजा कहा समाज ने की हमेशा तुलना मन से सदा भला चाहा तन निकल गए एक वक़्त के बाद अलग-अलग यात्रा पर किसी अजनबी की तरह...
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Monday, August 5, 2024

किताबें

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  घर के अलग-अलग हिस्सों में बेतरतीब पड़ी मिलेंगी किताबें कुछ पढ़ी , कुछ आधी पढ़ी कुछ बिना पढ़ी   तो कुछ ढूँढने पर भी न मिलने वाली जगह...
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Friday, July 19, 2024

चक्र

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 दुनिया का अंत देखने के लिए समानांतर दुनिया की कल्पना  नितांत ही जरूरी है ये अलग बात है कि अंत देखने के बाद  हमें भोगी हुई दुनिया दिखने लगे ...
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कुचक्र

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 मुझे कई दोस्तों ने कहा फोन पर बड़ी लम्बी उम्र है आपकी  अभी आपका ही जिक्र चल रहा था या बिल्कुल अभी फोन निकाला था जेब से  करने ही वाला था आपको...
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Wednesday, May 8, 2024

बेहोशी

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  बहुत सारी कविताएं लिखने के बाद मुझे हुआ यह बोध कविताएं कम से कम लिखनी चाहिए और अगर लिखी भी गई हो अधिक तो उन्हें सौंप देना चाहिए एक...
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Wednesday, May 1, 2024

छल

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  कमोबेश प्रत्येक स्त्री कहती थी यें दो बात एक बार वो आगे बढ़ जाए तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखती एक बार भूलने के बाद वो याद नहीं करती किसी ...
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ये जो आदमी है

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Dr.Ajit
Haridwar, Uttarakhand, India
देहाती,भदेस,असामाजिक जिससे सभी मित्र,रिश्तेदार अक्सर नाराज रहते है और घमंडी भी कहते है ऐसा आवारा किस्म का इंसान जो बोलता ज्यादा है करता कुछ भी नही...जिन्दगी बेतरतीब जीने की आदत है अतीत का व्यसन है,वर्तमान नीरस है और भविष्य का कोई नियोजन नही है सो जिन लोगो को असफल लोगो से प्यार है उनका स्वागत है। लिखने पढने का शौक तो नही कह सकता पर कभी कभी कुछ मन मे होता है तो कह देता हूं, डिग्री,पदवी,ओहदे से कोई ताल्लुक नही है वैसे मज़ाक मज़ाक मे पी.एच.डी. हो गई है वो भी मनोविज्ञान में। खुद को तो कभी समझ नही पाएं दूसरो को क्या खाक समझेंगे? सो ना सलाह देता हूं ना लेता हूं अदब से थोडा कमजोर हूं और आदत से जज़्बाती... बस यही परिचय है अपना इसमे मेरा कुछ भी नही है सब कुछ उधार का है।
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