Friday, November 25, 2011

बहाना

अक्सर शाम होते ही उदास हो गये

झुठा बहाना सुनकर बच्चे सो गये


दुनिया के लिए जो था मशहूर बहुत

किस्से उसके कहानियों में खो गये


महफिल की तन्हाई देखकर शेख बोले

इतने लोगो कैसे खुदा पसंद हो गये


रोज जीना रोज़ मरना खेल नही है

ऐसे बेअदब हम यूँ ही नही हो गये


नज़र ब्याँ कर गयी दिलों के फांसले

अपनों के अन्दाज़ अजनबी हो गये


उदासी का लुत्फ अजीब ही निकाला

मुस्कुराने की बात पर भी रो गये


डॉ.अजीत

2 comments:

  1. अक्सर शाम होते ही उदास हो गये झुठा बहाना सुनकर बच्चे सो गये
    गज़ब डॉक्टर साहब..!!

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