अपने वहम औ’ कयास रहने दो
मुझे अपने आस-पास रहने दो
थक गया है अब किरदार मेरा
कुछ दिन इसे बेलिबास रहने दो
दोस्त फनकार बन गए है सब
नाचीज़ को बस खाकसार रहने दो
हंसने मे जो शख्स माहिर था
उसे कुछ दिन उदास रहने दो
नज़रो से जो गिर गया हो बेवजह
उसे अब बस मयख्वार रहने दो
डॉ.अजीत