तुम्हारे लिए
मै जांचनीय प्रस्ताव हूँ
मेरे लिए
तुम अध्यादेश
तुम्हारे लिए
मै संदिग्ध सम्भावना हूँ
मेरे लिए
तुम पवित्र संकल्प
हम दोनों
एक दूसरे के लिए क्या है
यह अज्ञात है
कोई तटस्थ व्यक्ति यह
ठीक ठीक बता सकता है
परन्तु आड़े तिरछे रिश्तों के जंगल में
सांस लेती हमारी माटी
बंजर नही हुई है
जिस गर्भ से बेरुखी के
खरपतवार जनमे है
उसी से एक दिन
अपनेपन की बेल फूटेगी
तब तक उसके आलम्बन के लिए
अपनी पीठ तैयार कर लो
जज्बातों की जमीन
बिना बीज भी फसल पैदा करने की
क्षमता रखती है
यह कृषि विज्ञान का नही
स्त्री पुरुष के मन के विज्ञान का
सच है।
© डॉ.अजीत
मै जांचनीय प्रस्ताव हूँ
मेरे लिए
तुम अध्यादेश
तुम्हारे लिए
मै संदिग्ध सम्भावना हूँ
मेरे लिए
तुम पवित्र संकल्प
हम दोनों
एक दूसरे के लिए क्या है
यह अज्ञात है
कोई तटस्थ व्यक्ति यह
ठीक ठीक बता सकता है
परन्तु आड़े तिरछे रिश्तों के जंगल में
सांस लेती हमारी माटी
बंजर नही हुई है
जिस गर्भ से बेरुखी के
खरपतवार जनमे है
उसी से एक दिन
अपनेपन की बेल फूटेगी
तब तक उसके आलम्बन के लिए
अपनी पीठ तैयार कर लो
जज्बातों की जमीन
बिना बीज भी फसल पैदा करने की
क्षमता रखती है
यह कृषि विज्ञान का नही
स्त्री पुरुष के मन के विज्ञान का
सच है।
© डॉ.अजीत
बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ।
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