Wednesday, June 18, 2014

इजाजत

जो हो इजाजत तेरे कॉटन के दुपट्टे से पसीना पूछं लूं
माथे पे जो छलक आया है तेरे तसव्वुर में !
तेरे गीले बालों के सावन की एक बूँद
मेरे आँख में उतर गई है चुपके से
आंसूओं से मिल वो अपनी ठंडक खो बैठी
जो हो इजाजत मै पलकें भिगो लूं
जज्बातों को एहसास का सफीना दे दूं
जो हो इजाजत एक बार छू कर देखूं तुम्हे !
आवारा ख्यालों अधूरी ख्वाहिशों
के वजीफे भेज रहा हूँ तुम्हे
तुम्हारी शक्ल में।
© डॉ. अजीत

3 comments:

  1. अधूरी ख्वाहिशों के वजीफे ...
    नवीन बिम्ब , खूबसूरत भाव !

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  2. बहुत खूब ... इजाजत की प्रतीक्षा ...

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