Thursday, September 11, 2014

गजल

किसी को और सताना नही चाहता
खुद बारें में कुछ बताना नही चाहता

खुश रहना अच्छी आदत बताते है
खुश रहें कैसे  कोई ये नही बताता

अहसानों का जिक्र करते है सब
गैरतमंद यूं भी तलब नही जताता

दुआओं में असर  नही रहा अब
फकीर अलख जगाने नही जाता

हंसते-हंसते आँख भर आए मेरी
कोई अब ऐसा किस्सा नही सुनाता

© अजीत

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