कहकहों से ऊब रहा हूँ मै
सूरज थाअब डूब रहा हूँ मै
तवज्जो नसीब नही अब
कभी बहुत खूब रहा हूँ मै
बेवफा जो कहते है मुझे
उनका महबूब रहा हूँ मै
भूलना कोई उनसें सीखे
जिनका मंसूब रहा हूँ मै
© डॉ. अजीत
सूरज थाअब डूब रहा हूँ मै
तवज्जो नसीब नही अब
कभी बहुत खूब रहा हूँ मै
बेवफा जो कहते है मुझे
उनका महबूब रहा हूँ मै
भूलना कोई उनसें सीखे
जिनका मंसूब रहा हूँ मै
© डॉ. अजीत
तुम आदमी ठीक नहीं हो ।
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