Friday, January 16, 2015

कतरन

टेली ऑपरेटर की तरह
उस दिन तुमने कहा
आपका दिन शुभ हो
इस तरह से
शुभ होना
पहली बार लगा
बेहद अशुभ।
***
उन दिनों तुम
कहावतों में बातें करती थी
एकदिन तुमने कहा
जब जागो तभी सवेरा
तुम्हारी याद में रात भर जाग कर भी
सवेरा नही होता
सिर्फ दिन निकलता है
कितना झूठ बोलती थी तुम।
***
चाहे कुछ भी भूल जाओं
नही भूलती थी कहना
टेक केयर
तुम्हारी अनुपस्थिति में
इन दो निसक्त शब्दों ने
कोई मदद नही की मेरी
जान लो तुम।
***
तमाम शब्द सामर्थ्य के बावजूद
आज भी नही जानता
तुम्हारे एक सवाल का
सही जवाब
जो अक्सर पूछती हो तुम
कैसे हो तुम...!
***
तुम्हें भरोसा था
वक्त हर जख्म भर देगा
वक्त के बढ़ने के साथ
जख्म होते गए और गहरे
जख्मों से ज्यादा
तुम्हारा भरोसा टूटने का दुःख है।

© डॉ. अजीत

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