Wednesday, May 20, 2015

फलादेश

चांद मुंह नही फेर सकता
तारें आंख नही बंद कर सकते
धरती को तकना
ज्ञात मजबूरी है
मनुष्य सो सकता है
देख सकता है स्वप्न
लिख सकता है कविताऐं
तमाम अन्धकार के बीच
चाँद तारें इस बात पर खुश है।
***
नदी को किनारों से फुरसत नही
उसकी गहराई का एकांत
उदास रहता है अक्सर
पत्थर बचातें है
उसके जीवन में हास्य
वेग की शक्ल में।
***
हवा मुक्त दिखती है
मगर होती नही है
उसकी दिशा तय करता है कोई और
हवा की बेबसी
पूछिए किसी हिलते हुए पत्ते से
वो टूटकर बताना चाहता है सबकुछ
यदि आपको फुरसत हो तो।
***
ग्रहों नक्षत्रों के प्रभाव में मध्य
पृथ्वी होती है नितांत अकेली
झेलती है सबका सकार नकार
कोई ज्योतिषी नही बताता
उसका प्रभाव
उसी पर जीवित
मनुष्यों के जीवन पर
उसकी गोद में संकलित है
उसके समस्त अप्रकाशित फलादेश।

© डॉ. अजीत

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