Tuesday, May 3, 2016

बातें

मिलनें पर आदतन
वही सवाल किया उसनें
कैसी है तुम्हारी प्रेमिका
मैंने कहा
बिलकुल तुम्हारी जैसी
झूठ ! सफेद झूठ ! उसनें हंसते होते हुए कहा
मैनें कहा क्यों हो नही सकती?
नही हो सकती !
जब आज तक तुम्हारे जैसा कोई दूसरा न मिला
मेरे जैसे कोई कैसे मिल सकती है तुम्हें
हम्म ! कहकर बदल दी मैंने फिर बात
मगर देर तक हमारे बीच अकेला बैठा रहा
ये बेहद प्यारा सच।
***
ऐसा कई बार हुआ
फोन उठाना बन्द कर दिया उसनें
नही दिया जवाब किसी एसएमएस का
मैंने हर बात का बदला लिया
सिवाय इस बात के
जब भी आया फोन लपक कर उठा लिया
तलाश कर लिया धरती का सबसे सुरक्षित कोना
सुनता रहा उसे मुग्ध होकर
हर एसएमएस का दिया व्यंग्य रहित जवाब
बस इसी बात के लिए
आज भी मुझे शिद्दत से याद करती है वो।
***
उसने पूछा एकदिन
तुम्हारे जीवन के सबसे खराब दिन कौन से थे
मैंने कहा जब दिमाग ने दिल को को समझा दिया था
तुम नही हो आसपास
और सबसे अच्छे?
जब दिल ने दिमाग को कहा
शर्ते लगाना बन्द कर वो यही है आसपास
और सबसे तटस्थ दिन
अब मैं हंस पड़ा और कहा
वो याद नही कब थे
चलो मैं याद दिलाती हूँ उसनें कहा
तुम्हारे सबसे तटस्थ दिन तब थे
जब तुम दो लोगों के बातों पर
मुस्कुरा रहे थे एकसाथ
वो सबसे खराब दिन थे मेरे।

©डॉ.अजित

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