Tuesday, May 24, 2016

असुविधा

एक स्त्री कहती है
तुम्हारी वजह से
मैंने आत्महत्या को स्थगित कर दिया

एक स्त्री कहती है
तुम्हारी वजह से
एक दिन आत्महत्या कर सकती हूँ मैं

एक स्त्री कहती है
तुमनें जीवन का सच जान लिया है

एक स्त्री कहती है
सच ये है तुम बेहद डरपोक और भगौड़े हो
बस प्रतीत नही होने देते

एक पुरुष कहता है
तुम और बेहतर हो सकते हो

एक पुरुष कहता है
तुम कितने खाली और बेकार हो

एक बुजुर्ग कहता है
तुम आदमी काम के हो
मगर गलत वक्त पर पैदा हुए हो

एक बुजुर्ग कहता है
तुम दोषी हो
तुमनें रास्तों को मंजिल का सही पता न दिया

एक बच्चा कहता है
आपके जूते के फीते खुले है
शर्ट का एक बटन सही बंद नही है

एक बच्चा कहता
आपसे डर लगता है
आप हंसते कम हो

एक धर्म कहता है
ईश्वर एक है
वो दयालू है

एक धर्म कहता है
सब ईश्वरों का भी एक ईश्वर है
उसे नही मानोगे तो
तुम्हें दंड मिलेगा वो

इन सबसे एक
निरुपाय मनुष्य कहता है
हो सके तो
मुझे माफ़ करों

क्षमा का याचन पलायन नही
तटस्थता का अभिनय भी नही

दरअसल,
माफी मांगना एक सुविधा है
उनके लिए
जिन्होंने जीवन में चुनी हमेशा
असुविधा।

©डॉ.अजित 

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