Tuesday, June 21, 2016

ग्रामर

उसकी एक बात ने
प्रेम में हाइफ़न लगा दिया था

मेरी कोई दलील
इंवर्टेड़ कोमा में नही थी

वहां सवाल बिना क्वेश्चयन मार्क के थे
वहां जवाब में कोई कोमा भी नही था

न जाने क्यों एक दिलचस्प बातचीत में उसनें
एक सेमीकॉलम बनाया और आगे लिख दिया
फ्रीडम फ्रॉम द नॉन

मुझे लगा ये किसी फिलासफी की बात है
मगर दरअसल वो फुल स्टॉप की एक भूमिका थी

दोस्ती के ग्रामर में मेरी पंचुएशन खराब थी
इसलिए नही कह पाया कभी ये बात
महज एक शुद्ध वाक्य में
प्लीज़ बी विद मी !
इफ पॉसिबल।

©डॉ. अजित

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