कविताएं
जो सुनानी थी
खत जो दिखाने थे
फोटो जो साथ क्लिक करने थे
छूटे हुए सपनें जो गिनाने थे
जिंदगी के ऐतबार पर
किस्सों को बुनना था
कुछ बिखरे हुए हिस्सों को
हंसते हुए रोज़ चुनना था
काम सब के सब अधूरे रहे
कहे अनकहे ख्याल सब लौट आए
मुझ तक देर सबेर
तुम्हारा पता सही था
खत भी खुले थे
डाकिया भी भरोसे का था
बस तुम अनुपस्थिति थी चित्र से
तुम्हारी अनुपस्थिति की तह बना रख ली है
एक धुंधली सम्भावना की शक्ल में
उम्मीद मनुष्य को बार बार निराश होने के लिए
प्रशिक्षित करती है
मैं उम्मीद की शक्ल में देखता हूँ तुम्हें
निराशा इसलिए सबसे अधिक प्रिय है मुझे।
©डॉ.अजित
जो सुनानी थी
खत जो दिखाने थे
फोटो जो साथ क्लिक करने थे
छूटे हुए सपनें जो गिनाने थे
जिंदगी के ऐतबार पर
किस्सों को बुनना था
कुछ बिखरे हुए हिस्सों को
हंसते हुए रोज़ चुनना था
काम सब के सब अधूरे रहे
कहे अनकहे ख्याल सब लौट आए
मुझ तक देर सबेर
तुम्हारा पता सही था
खत भी खुले थे
डाकिया भी भरोसे का था
बस तुम अनुपस्थिति थी चित्र से
तुम्हारी अनुपस्थिति की तह बना रख ली है
एक धुंधली सम्भावना की शक्ल में
उम्मीद मनुष्य को बार बार निराश होने के लिए
प्रशिक्षित करती है
मैं उम्मीद की शक्ल में देखता हूँ तुम्हें
निराशा इसलिए सबसे अधिक प्रिय है मुझे।
©डॉ.अजित
सुन्दर।
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