Thursday, December 8, 2016

निकलना

हंसी तुमने देखी है हमारी
मगर हम रो कर निकले है

जितना हासिल किया तुमने
उतना हम खो कर निकले है

धूप में भी छांव मिल जाएगी
बीज एक हम बो कर निकले है

पहुँच ही जाएंगे खत सब पते पर
ख्याल  दिल भिगो कर निकले है

कोई रहता था हमेशा वहां
जहां से हम हो के निकले है

©डॉ.अजित

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