Sunday, January 29, 2017

विकल्प

यात्रा का आरम्भ बिंदु
होता है बेहद कोमल निस्पृह और पवित्र
फिर विकल्प उपस्थित होते है आसपास
कौतुक की शक्ल में

यही से होता है आरम्भ चयन भेद विशेषण का
विकल्प एक सुविधा है
जिसकी असुविधा व्याप्त रहती है दूर तक

शब्द भाव संवेद जब होते है हस्तांतरित
संकल्प मुस्कुराता है विकल्प की चालाकी पर
विकल्प देता है हौसला हंसी के प्रतिउत्तर में

ये नही वो तो सही
बहुत है अभी चमन में दीदावर।

© डॉ. अजित

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