तुम्हारी आँखों के काजल को देखता हूँ
तो लगता है कि
रात भर तन्हा जले दिए से
हथेली पर स्याही निकाल कर
समन्दर की चारदीवारी कर दी गई हो जैसे
नीले पानी में ये स्याह रंग इस कदर चमकता है कि
समंदर चाह कर भी कभी
अपनी हदों से बाहर नही निकेल सकेगा
तो लगता है कि
रात भर तन्हा जले दिए से
हथेली पर स्याही निकाल कर
समन्दर की चारदीवारी कर दी गई हो जैसे
नीले पानी में ये स्याह रंग इस कदर चमकता है कि
समंदर चाह कर भी कभी
अपनी हदों से बाहर नही निकेल सकेगा
झूठ नही कहूंगा विष कन्याओं की तरह
तुम्हारा माथा थोड़ा तिलिस्मी है
मेरी तर्जनी पर कुछ उच्चाटन मन्त्र छपे है
मैं उन्हें तुम्हारे माथे के हवाले करता हूँ
इसके बाद कोई मुझे सिद्ध न माने
मुझे कोई तकलीफ नही होगी
तुम्हारा माथा थोड़ा तिलिस्मी है
मेरी तर्जनी पर कुछ उच्चाटन मन्त्र छपे है
मैं उन्हें तुम्हारे माथे के हवाले करता हूँ
इसके बाद कोई मुझे सिद्ध न माने
मुझे कोई तकलीफ नही होगी
तुम्हारे दो कानों पर अलग अलग
टापूओं के नक्शे दर्ज़ है
मैं दोनों का मिलान करना चाहता हूँ
दोनों की शक्लें बेहद मिलती है
मगर दोनों एकदम जुदा है
टापूओं के नक्शे दर्ज़ है
मैं दोनों का मिलान करना चाहता हूँ
दोनों की शक्लें बेहद मिलती है
मगर दोनों एकदम जुदा है
तुम्हारी नाक पर हरसिंगार का
एक फूल अटका हुआ है
वो तुम्हारे गुस्से से दोस्ती करना चाहता है
मगर तुम खुद से खफा हो ये जानकर
वो अपने मंसब से भटक गया है
एक फूल अटका हुआ है
वो तुम्हारे गुस्से से दोस्ती करना चाहता है
मगर तुम खुद से खफा हो ये जानकर
वो अपने मंसब से भटक गया है
तुम्हारे शुष्क लबों पर
ना कोई तमन्ना है और ना कोई शिकायत ही है
ये देखकर मेरा दिल थोड़ा बैठ जाता है
तुम्हें अपलक देखतें हुए
मैं अब तक का अपना प्यार पर दिया हुआ
सबसे बेवकूफी भरा बयान याद करता हूँ
ताकि तुम उसे सुन खिलखिलाकर हंस सको
और आदतन मुझसे कहो
‘तुम्हें अभी और बड़ा होना है’
© डॉ. अजित
वाह
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletebadhiya...lagi rachna.
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