Friday, February 2, 2018

बहाना

उसके हिसाब से
मेरी एक से अधिक प्रेमिकाएं थी
उसे हमेशा लगता था यह
एक साथ कई स्त्रियों के सम्पर्क में रहता हूँ मैं

वो कहती थी
मेरी बातों में होता है सम्मोहन

सक्रियता के आधार पर
जो जोड़ती घटाती रहती थी कुछ नाम
उसके अनुमानों की तराजू पर
हमेशा भारहीन टंगा रहता था मैं

कभी मजाक में, तो कभी उन्माद में
वो मुझे कहती थी छलिया
जबकि उसके या किसी के साथ
मेरे द्वारा किए गए
किसी किस्म के छल का
उसके पास नही था कोई भी प्रमाण  

उसको यह विश्वास दिलाने में
मैं रहा था असमर्थ कि
नही है मेरी रूचि
एकाधिक स्त्रियों में
और न ही मैं था किसी आदर्श प्रेमिका की प्रतीक्षा में

अपने साथ नए-पुराने नाम जुड़ते देख
पहले आता रहा मुझे गुस्सा
बाद में इसी बात पर आयी हंसी
मैं ये तो नही कहूंगा कि
वो मुझे ठीक से समझ नही पायी
मगर इतना जरुर कहा जा सकता है

मुझे लेकर राय बनाने में रही हमेशा थोड़ी अधीर
 न जाने क्यों?

संदेह को वो समझती रही अपना कौशल
और पुरुष को आदतन अविश्ववसनीय
ऐसा भी नही था कि
उसे किसी ने धोखा दिया हो
फिर भी उसके हिसाब से
हर छटे-छमाही बदलती रही
मेरी प्रेमिका

जब मैं खारिज करता उसकी स्थापनाएं
उसे और अधिक संदेह होता
मेरे पूर्ण पुरुष होने पर
वो मेरी अनिच्छा को
समझने लगती मेरी हीनता

बावजूद इस सबके
मुझे अच्छी लगती थी उसकी बातें
वो फ़िक्र करती थी मेरी
उसे हमेशा लगता था
मैं काबिल इंसान हूँ
बस अपनी अनिच्छा से बैठा हूँ
सफलता से दूर दुबककर

उसके भरोसे
मैं जान पाया स्त्री मनोविज्ञान का यह सच
वो जिसे करती है पसंद
उसे खोने के उसके पास होते  है
अनेक बहाने
ताकि वक्त बीतने पर
समय को दे सके दोष

मेरी एक से अधिक प्रेमिका बताना
यह भी था एक बहाना
ताकि जब हम साथ न रहें
उसे रहूँ मैं याद
किसी न किसी शक्ल में.

© डॉ. अजित




8 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  2. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  4. वाह!!बहुत सुंदर।

    ReplyDelete
  5. वाह
    बहुत सुंदर रचना
    सादर

    ReplyDelete
  6. क्या बात है ....... स्त्रियों के प्रेम के मनोविज्ञान को बड़ी कुशलता से रख दिया ।
    स्त्रियां करती हैं प्रेम टूटकर
    इसीलिये चाहती हैं उतना ही गहन प्रेम
    कि.... उनके शब्दों को सच करने की हिम्मत न करे कोइ।

    आदरणीय अजीत जी
    अद्भुत रचना ।
    सादर

    ReplyDelete
  7. "स्त्री मनोविज्ञान का यह सच
    वो जिसे करती है पसंद
    उसे खोने के उसके पास होते है
    अनेक बहाने"

    खूब कह गए ..

    ReplyDelete