उसने
निर्णय सुनाते हुए कहा
आज
के बाद नही मिलूंगी तुमसे
ये
एक वादा है खुद से
मैंने
कहना चाहता था मगर क्यों?
लेकिन
कहा नही
कुछ
जवाबों के बदले
सवाल
न करना भी
मैंने
कभी सिखा था उसी से.
**
उसने
कहा
तुम्हारा
सच को स्वीकार करने का
हौसला
थोड़ा कम है
मैंने
कहना चाहता था
तुम
इस बार सच कह रही हो
मगर
कहा नही
क्योंकि
मेरा सच कहने का
हौसला
भी था थोड़ा कमजोर.
**
वो
चली गई अपनी राह
एकदम
चुपचाप
तभी
मैंने जाना
किसी
के जाने के बाद
उसके
जाने के कारण तलाशना
उसके
जाने का अनादर करना है.
**
जब
भी आती थी उसकी याद
मैं
सोच लेता था उसके व्यंग्य
जब
वो भूलने को होती थी
मैं
याद करने लगता था अपना प्रेम
जब
न उसकी याद आती
न
वो भूली जाती थी
तब
समझता था मैं
अब
मुझे याद कर रही है वो.
**
अब
जब वो नही है
मैं
नही दे सकता
किसी
को दोष
समय
को भी नही
क्योंकि
उसके
जाने के बाद
समय
से कोई संवाद नही है मेरा.
©
डॉ. अजित
भावुक
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