उसने एक बार कहा था
हमेशा ऐसी जगह रहना
जिसके नजदीक
एक नदी बहती हो
मैंने पूछा क्यों
उसने हंसते हुए कहा
इसका जवाब
तुम्हें वो नदी देगी।
**
उसने एक बार कहा था
तुम अगर सीखना तो
करुणा और दया में भेद सीखना
मैंने पूछा क्यों
उसने मुस्कुराते हुए कहा
इसका जवाब
तुम्हारी आत्मा देगी।
**
उसने एक बार कहा था
आत्महत्या का जब भी विचार आए
खेलते हुए बच्चों का शोर सुनना
जीने की तमाम वजहें वहां मिलेंगी
मैंने पूछा अगर न सुन पाऊँ तो
फिर तुम सच में
जीने का हक खो चुके हो
उसने उदास होते हुए कहा था।
**
उसने एक बार कहा था
स्त्री से मत पूछना उसका सुख
और पुरुष से मत पूछना उसका दुःख
मैनें पूछा क्यों
उसने कहा
खुद से पूछना ईमानदारी से
तुम क्या सुनना चाहते हो?
**
उसने कहा था एक बार
जब तुम्हारे पास किसी को खोने के हो
बहाने हजार
और पाने का हो एक भी नही
तब करना एक काम
मैंने पूछा क्या?
तलाशना उस एक बहाने को
किसी को पाने के लिए नही
बल्कि अपने जीवन में
खोने को स्थगित करने के लिए।
©डॉ. अजित
हमेशा ऐसी जगह रहना
जिसके नजदीक
एक नदी बहती हो
मैंने पूछा क्यों
उसने हंसते हुए कहा
इसका जवाब
तुम्हें वो नदी देगी।
**
उसने एक बार कहा था
तुम अगर सीखना तो
करुणा और दया में भेद सीखना
मैंने पूछा क्यों
उसने मुस्कुराते हुए कहा
इसका जवाब
तुम्हारी आत्मा देगी।
**
उसने एक बार कहा था
आत्महत्या का जब भी विचार आए
खेलते हुए बच्चों का शोर सुनना
जीने की तमाम वजहें वहां मिलेंगी
मैंने पूछा अगर न सुन पाऊँ तो
फिर तुम सच में
जीने का हक खो चुके हो
उसने उदास होते हुए कहा था।
**
उसने एक बार कहा था
स्त्री से मत पूछना उसका सुख
और पुरुष से मत पूछना उसका दुःख
मैनें पूछा क्यों
उसने कहा
खुद से पूछना ईमानदारी से
तुम क्या सुनना चाहते हो?
**
उसने कहा था एक बार
जब तुम्हारे पास किसी को खोने के हो
बहाने हजार
और पाने का हो एक भी नही
तब करना एक काम
मैंने पूछा क्या?
तलाशना उस एक बहाने को
किसी को पाने के लिए नही
बल्कि अपने जीवन में
खोने को स्थगित करने के लिए।
©डॉ. अजित
बढ़िया कक्षणिकाएं अजीत जी .
ReplyDeleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १२ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' १२ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया साधना वैद और आदरणीया डा. शुभा आर. फड़के जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
सभी क्षणिकाएँ लाजवाब ... गहरी और दूर की बात रखते हुए ....
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteलाजवाब संवाद।
बेहद उम्दा..लाजवाब !
ReplyDeleteभावावेग का अप्रतिम धारा प्रवाह
ReplyDeleteभावावेग का अप्रतिम धारा प्रवाह
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