Friday, February 22, 2019

सलाह


स्त्री से मत कहना
अपने मन की कोई दुविधा,कोई अप्रिय बात
वो बाँध लेगी उसकी गाँठ
झोंक देगी अपनी सारी ताकत
उसे समाप्त करने में

वो  पूछेगी बार-बार उसके बारे में सवाल
और देगी खुद ही हर सवाल का
एक संभावित जवाब

किसी स्त्री से मत बताना
अपने जीवन के दुःख
जो रख देगी अपने सारे सुख गिरवी
और तुम्हें दुःखों से निकालनें की करेगी
भरसक कोशिश

किसी स्त्री से मत बताना
अपने डर के बारें में ठीक-ठीक कोई अनुमान
वो इसके बाद अपने डरों को भूलकर
तुम्हें बताएगी तुम्हारी ठीक-ठीक ताकत

अपने बारें में न्यूनतम बताना
किसी स्त्री को
बावजूद इसके वो जान लेगी तुम्हारे बारें में वो सब
जो खुद के बारें नही जानते तुम भी

स्त्री से मत पूछना
दुःख की मात्रा
और सुख का अनुपात

स्त्री से मिलते वक्त
छोड़ आना अपने पूर्वानुमान
बचना अपने पूर्वाग्रहों से

सोचना हर मुलाकात को आख़िरी

स्त्री को बदलने की कोशिश मत
और खुद भी मत बदलना

स्त्री नही करती पसंद
किसी बदलाव को बहुत जल्द

स्त्री से कहना अपना धैर्य
स्त्री से सुनना उसके अनुभव
बिना सलाह मशविरा दिए

स्त्री जब पूछे तुमसे क्या हुआ?
कहना सब ठीक है

वो समझ जाएगी खुद ब खुद
कितना ठीक है और कितना है खराब.

© डॉ. अजित  

3 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/02/2019 की बुलेटिन, " भाखड़ा नांगल डैम" पर निबंध - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. वाह ! कितनी गहरी और सच्ची बात

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  3. फिर पढ़ी...फिर से वही अनुभूति हुई...

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