पेट के बाद बच्चा
उनके कंधों से लगा रहता
कई-कई साल
सोने और खाने का
उनका समय तय होता है
बच्चे के हिसाब से
इसका अभ्यास
एक नैतिक जिम्मेदारी की तरह
शामिल रहा स्त्री के जीवन में
बच्चे की बीमारी से लेकर
उसके स्कूल जाने की तैयारी तक
यदि स्त्री के जीवन की अस्त-व्यस्तता
को देखा जाए तो
उसका श्रम अपरिमेय होता जाता
माता-पिता की अपनी अपनी
जिम्मेदारियों के मध्य
पिता के पास उकताने की सुविधा थी
वो रोते बच्चे को चुप कराने में
असमर्थता जताकर कभी भी सौंप सकता था
उसकी मां को
मां के पास ऐसी सुविधा नही थी
चुप कराने से सुलाने तक को
समझा जाता था उसका स्थायी कौशल
परवरिश के सेमिनारों में
मां के लिए बताए गए नए नए सूत्र
ताकि बच्चे बन सके
स्वस्थ सभ्य सुशील
बिगड़ैल बच्चों के कारणों में
सबसे ऊपर रखा गया
मां का लाड-दुलार
ऐसा नही है कि
पिता की कम भूमिका रही
बच्चों के लालन-पोषण में
मगर
ऐसा जरूर है
पिता के हिस्से में अधिक आए
बच्चों के यश,गौरव और एकांत
इसलिए बच्चों को
बीमारी में सबसे पहले याद आती थी मां
और उपलब्धि पर पिता।
©डॉ. अजित
उनके कंधों से लगा रहता
कई-कई साल
सोने और खाने का
उनका समय तय होता है
बच्चे के हिसाब से
इसका अभ्यास
एक नैतिक जिम्मेदारी की तरह
शामिल रहा स्त्री के जीवन में
बच्चे की बीमारी से लेकर
उसके स्कूल जाने की तैयारी तक
यदि स्त्री के जीवन की अस्त-व्यस्तता
को देखा जाए तो
उसका श्रम अपरिमेय होता जाता
माता-पिता की अपनी अपनी
जिम्मेदारियों के मध्य
पिता के पास उकताने की सुविधा थी
वो रोते बच्चे को चुप कराने में
असमर्थता जताकर कभी भी सौंप सकता था
उसकी मां को
मां के पास ऐसी सुविधा नही थी
चुप कराने से सुलाने तक को
समझा जाता था उसका स्थायी कौशल
परवरिश के सेमिनारों में
मां के लिए बताए गए नए नए सूत्र
ताकि बच्चे बन सके
स्वस्थ सभ्य सुशील
बिगड़ैल बच्चों के कारणों में
सबसे ऊपर रखा गया
मां का लाड-दुलार
ऐसा नही है कि
पिता की कम भूमिका रही
बच्चों के लालन-पोषण में
मगर
ऐसा जरूर है
पिता के हिस्से में अधिक आए
बच्चों के यश,गौरव और एकांत
इसलिए बच्चों को
बीमारी में सबसे पहले याद आती थी मां
और उपलब्धि पर पिता।
©डॉ. अजित
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण कविता..
ReplyDeleteसटीक रचना
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