Thursday, May 2, 2019

निपुण

बतौर कवि इन दिनों
इतना कमजोर आत्मविश्वास है मेरा
कोई यदि कहें
कविता की फलां पंक्ति में
वाक्य दोष है
तो मैं बिना कविता की अनुमति  लिए
बदल देता हूँ
पूरा भाव

कविता मुझे कमजोर देख
खुश नही होती
बस दुआ देती है
चुपचाप

कवि चाहे कितना हो जाए
अनिपुण
कविता कभी नही होती
निष्ठुर.

© डॉ. अजित 

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