उसने कहा
तुम्हारी आदतें बदल गई कुछ
इस बात मुझे खुश होना चाहिए
मगर मुझे अच्छा नही लग रहा है
कुछ आदतें कभी नही बदलनी चाहिए
इस बात का अहसास अब हुआ है मुझे
मैंने कहा
बदलाव जीवन का सच है
मगर ज़िन्दगी जीने के लिए हमेशा
हमें
चाहिए होता है कुछ प्रतिशत झूठ
इस प्रतिशत को निचोड़ा जा सकता है
वर्तमान और भविष्य से बारी-बारी
उसने कहा
फिर मैंने कुछ नही कहा
और देखा बदलाव को सूखते हुए
कामना के तार पर
धूप और हवा के बिना.
© डॉ. अजित
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-11-2019 ) को "छत्रप आये पास" (चर्चा अंक 3534) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये जाये।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
-अनीता लागुरी 'अनु'
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन सृजन आदरणीय
ReplyDeleteसादर
वाह बहुत खूब सृजन।
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