Monday, June 7, 2021

मूर्खताएं

 मेरी मूर्खताओं का 

कोई अन्त नहीं था


वे इतनी सुव्यवस्थित थी

कि उन्हें देख 

सन्देह होने लगता था

अपने अनुभव और ज्ञान पर


मूर्खताओं को

पहचाने के लिए 

एक काम करना होता था बस मुझे


नियमित मूर्खताएं करना।


©डॉ. अजित


6 comments:

  1. एक लम्बे अन्तराल के पश्चात। सुन्दर।

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  2. मूर्खताओं में भी सीख सुहानी छुपी रहती है
    ऐसा कोई नहीं जो कभी मूर्खताएं करे ही करें

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  3. सभी करते मूर्खताएं । लेकिन सुव्यवस्थित होतीं या नहीं ये नहीं पता ।

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  4. बहुत खूब ..
    मूर्ख बनना होता है बस ... क्या बात जी, क्या बात जी ...

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