धरती के अस्तित्व को लेकर
मौजूद हैं तमाम
वैज्ञानिक व्याख्याएं
मगर कोई व्याख्या नहीं बताती
यह एक बात कि
किस आधार पर निरापद होकर
धरती करती है
हमारे तमाम गुनाह माफ
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जल और वायु
धरती पर मिलते हैं प्रचुर
धरती पर नहीं मिलता
इन का सम्मान करने वाला।
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धरती घूमती है
नियत गति और दिशा में
धरती पर घूमता है मनुष्य
अनियंत्रित और दिशाहीन
धरती यह देखकर भी
नहीं होती निराश
इसलिए धैर्य को माना गया
धरती का पर्यायवाची।
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ज्योतिषी बताते हैं
नौ ग्रहों के अलग-अलग प्रभाव
अलग-अलग उपचार
कोई नहीं बाँचता
धरती के प्रभाव का फलादेश
धरती मनुष्य को करने देती है
सभी ग्रहों का उपचार
इस बात के लिए
रखनी चाहिए धरती के प्रति कृतज्ञता।
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धरती से हम देख सकते हैं
चांद, सूरज और तारें
धरती पर देख सकते हैं
पहाड़,नदी और समंदर
मगर
धरती को नहीं देखते एक भी बार
उस तरह
जिस तरह देखी जानी चाहिए धरती सदा।
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धरती में जब मिल जाता है
मनुष्य
तब उसे किया जाता है याद
उसकी अच्छाईयों के लिए
इस तरह
हमारी स्मृति से धरती करती है अलग
मनुष्य की मानवीय कमजोरियां।
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जब मनुष्य नहीं था
तब भी थी धरती
जब मनुष्य नहीं रहेगा
तब भी रहेगी धरती
मनुष्य जमाता है अधिकार
धरती देखती है
माँ की तरह खुद को बंटता हुआ।
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धरती को बचाने के तमाम नारे
निष्फल हुए सिद्ध
धरती को संभालने का
करना चाहिए था जतन
अफसोस हम लग गए
धरती को बचाने में
जोकि असम्भव है।
©डॉ. अजित
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
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