Sunday, October 31, 2010

महफूज़

उसका वजूद किस्से कहानियों मे रह गया

दावा समन्दर का था पर दरिया मे बह गया

फिकरे चंद लोगो ने कसे थे उसकी मजबूरियों पर

मगर खफा हो कर वो सबको बेवफा कह गया

इतने करीब से उसको जानता हूं मै

वो अब नही आएगा भले ही आने को कह गया

इसे रात की बेबसी कहूं तो तोहमत लगेगी

चांद निकलते ही आधा रह गया

तवज्जो उसी को मिलती है इस दूनिया में

लबो पे मुस्कान सजाकर जो दिल के जख्मों को सह गया

दोस्त हौसला बांट न सके अपने किरदारो का

सबके हाथों मे बस दिखाने को आईना रह गया...।

डा.अजीत

17 comments:

  1. इतने करीब से उसको जानता हूं मै,
    वो अब नही आएगा भले ही आने को कह गया.
    क्या कहूं? सचमुच बहुत गहराई से जानते हैं आप सबके मन की बात. बहुत सुन्दर.

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  2. तवज्जो उसी को मिलती है इस दूनिया में
    लबो पे मुस्कान सजाकर जो
    दिल के जख्मों को सह गया
    दोस्त हौसला बांट न सके अपने किरदारो का
    सबके हाथों मे बस दिखाने को आईना रह गया....

    बहुत खूबसूरती से आपने बता दिया कि लोंग हंसने वालों का ही साथ देते हैं ...अच्छी प्रस्तुति

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  3. आप ने बहुत कमाल की गज़ले लिखी है

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  4. लाजवाब...प्रशंशा के लिए उपयुक्त कद्दावर शब्द कहीं से मिल गए तो दुबारा आता हूँ...अभी मेरी डिक्शनरी के सारे शब्द तो बौने लग रहे हैं...

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  5. उम्दा रचना है, शब्द कोष आछा है, अर्थ भी गहरा है, कृपया लिखते रहिये ....

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  6. ajit bhaayi aek achche doktr ki trh aapne to jzbaat ka postmaartm kr diya shi bat he zyadaatr dil kaa haal yhi rhta he. akhtar khan akela kota rajsthna

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  7. हमने सोचा की यह ब्लॉग जगत के दुलारे महफूज़ भाई के लिए लिखी है. पर आपकी ग़ज़ल बहुत ही अच्छी लगी. कोई भी पढ़ कर भ्रमित हो जायेगा कि यह ग़ज़ल महफूज़ भाई के लिए लिखी है. आप नए हैं कृपया महफूज़ को भी जानें. उन ब्लॉग http://lekhnee.blogspot.com/ है.

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  8. Toamr Saheb Namaskar,

    Mujhe to apki kavita se jyada apki Majak - Majak main PHD wali bat acchi lagi.

    Maja aa gaya apka Parichay Padhkar. Aap jaise insan se milkar ke badi khusi hogi.

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  9. एक बेहतरीन रचना बहुत कुछ कह जाती है।

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  10. बहुत ही सुन्‍दर एवं भावमय प्रस्‍तुति ।

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  11. सचमुच बहुत गहराई से जानते हैं आप ...

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  12. बहुत खूबसूरत गज़ल है.

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  13. आपका सभी का बहुत-बहुत आभार आपकी टिप्पणी रुपी प्रसाद से पहली बार यह ब्लाग दर्जन का आंकडा पार गया अन्यथा मै तो इस मामले मे निर्धन ही रहा हूं...
    कोटि-कोटि आभार
    आते रहिएगा...आग्रह है मेरा
    डा.अजीत

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  14. are bandhu ab nirdhan shavd ka peecha choddo.....
    bahut badiya gazal......

    Aabhar


    तवज्जो उसी को मिलती है इस दूनिया में
    लबो पे मुस्कान सजाकर जो दिल के जख्मों को सह गया
    दोस्त हौसला बांट न सके अपने किरदारो का
    सबके हाथों मे बस दिखाने को आईना रह गया...। gazab ka lekhan....

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