उसका वजूद किस्से कहानियों मे रह गया
दावा समन्दर का था पर दरिया मे बह गया
फिकरे चंद लोगो ने कसे थे उसकी मजबूरियों पर
मगर खफा हो कर वो सबको बेवफा कह गया
इतने करीब से उसको जानता हूं मै
वो अब नही आएगा भले ही आने को कह गया
इसे रात की बेबसी कहूं तो तोहमत लगेगी
चांद निकलते ही आधा रह गया
तवज्जो उसी को मिलती है इस दूनिया में
लबो पे मुस्कान सजाकर जो दिल के जख्मों को सह गया
दोस्त हौसला बांट न सके अपने किरदारो का
सबके हाथों मे बस दिखाने को आईना रह गया...।
डा.अजीत
इतने करीब से उसको जानता हूं मै,
ReplyDeleteवो अब नही आएगा भले ही आने को कह गया.
क्या कहूं? सचमुच बहुत गहराई से जानते हैं आप सबके मन की बात. बहुत सुन्दर.
तवज्जो उसी को मिलती है इस दूनिया में
ReplyDeleteलबो पे मुस्कान सजाकर जो
दिल के जख्मों को सह गया
दोस्त हौसला बांट न सके अपने किरदारो का
सबके हाथों मे बस दिखाने को आईना रह गया....
बहुत खूबसूरती से आपने बता दिया कि लोंग हंसने वालों का ही साथ देते हैं ...अच्छी प्रस्तुति
आप ने बहुत कमाल की गज़ले लिखी है
ReplyDeleteलाजवाब...प्रशंशा के लिए उपयुक्त कद्दावर शब्द कहीं से मिल गए तो दुबारा आता हूँ...अभी मेरी डिक्शनरी के सारे शब्द तो बौने लग रहे हैं...
ReplyDeleteउम्दा रचना है, शब्द कोष आछा है, अर्थ भी गहरा है, कृपया लिखते रहिये ....
ReplyDeleteajit bhaayi aek achche doktr ki trh aapne to jzbaat ka postmaartm kr diya shi bat he zyadaatr dil kaa haal yhi rhta he. akhtar khan akela kota rajsthna
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !
ReplyDeleteहमने सोचा की यह ब्लॉग जगत के दुलारे महफूज़ भाई के लिए लिखी है. पर आपकी ग़ज़ल बहुत ही अच्छी लगी. कोई भी पढ़ कर भ्रमित हो जायेगा कि यह ग़ज़ल महफूज़ भाई के लिए लिखी है. आप नए हैं कृपया महफूज़ को भी जानें. उन ब्लॉग http://lekhnee.blogspot.com/ है.
ReplyDeleteToamr Saheb Namaskar,
ReplyDeleteMujhe to apki kavita se jyada apki Majak - Majak main PHD wali bat acchi lagi.
Maja aa gaya apka Parichay Padhkar. Aap jaise insan se milkar ke badi khusi hogi.
बेशअक उम्दा गज़ल
ReplyDeleteमैं महा मिलन के क़रीब हूं
एक बेहतरीन रचना बहुत कुछ कह जाती है।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर एवं भावमय प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसचमुच बहुत गहराई से जानते हैं आप ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल है.
ReplyDeletegreat
ReplyDeleteआपका सभी का बहुत-बहुत आभार आपकी टिप्पणी रुपी प्रसाद से पहली बार यह ब्लाग दर्जन का आंकडा पार गया अन्यथा मै तो इस मामले मे निर्धन ही रहा हूं...
ReplyDeleteकोटि-कोटि आभार
आते रहिएगा...आग्रह है मेरा
डा.अजीत
are bandhu ab nirdhan shavd ka peecha choddo.....
ReplyDeletebahut badiya gazal......
Aabhar
तवज्जो उसी को मिलती है इस दूनिया में
लबो पे मुस्कान सजाकर जो दिल के जख्मों को सह गया
दोस्त हौसला बांट न सके अपने किरदारो का
सबके हाथों मे बस दिखाने को आईना रह गया...। gazab ka lekhan....