Saturday, July 12, 2014

कृतज्ञता

तुम्हारे परिचय ने
प्रेम का सबसे अद्यतन संस्करण विकसित किया

तुम्हारी निकटता ने
सम्बन्धों की नई परिभाषा गढी

तुम्हारे हास्य ने
जीवन को हलके में लेना सिखाया

तुम्हारे दुखों ने
संघर्ष के तुलना की आदत से बचाया

तुम्हारे प्रेम ने
देह के प्रतिमानों से मुक्त रहना सिखाया

तुम्हारी आत्मीयता ने
लोगो पर विश्वास करना सिखाया

तुम्हारे गुस्से ने
जीवन को साधने का गुर सिखाया

तुम्हारी उपेक्षा ने
खुद से प्रेम करना सिखाया

तुम्हारी अपेक्षा ने
सच को आँखे मिलाकर कहने की हिम्मत दी

तुम्हारी दोस्ती ने
दोस्तों को बिना शर्त स्वीकारना सिखाया

और तुमने
मुझे मुझ से मिलवाया

तुम्हारे होने पर
कृतज्ञता का ज्ञापन सम्भव नही
आभार बहुत हल्का शब्द होगा
धन्यवाद औपचारिक है बेहद
तुम्हारा होना मेरे होने से बड़ा है
जैसे जीवन से बड़ा है
ईश्वर के होने का अहसास।

© डॉ.अजीत


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