किस्सें गमों के हम किस को सुनाते
दोस्त उदासी को अच्छी नही बताते
हर वक्त हंसते रहना मुश्किल बहुत है
लबों के जख्म तुम्हें नजर नही आते
एक मुद्दत से खुद से खफा हूँ दोस्त
छोटी सी बात समझ क्यों नही जाते
हैरत में हूँ अब तलक उम्मीदजदां हो
औरो की तरह बदल क्यों नही जाते
अरसे बाद मिलने जब आ ही गए हो
कुछ रोज इधर ठहर क्यों नही जाते
© अजीत
दोस्त उदासी को अच्छी नही बताते
हर वक्त हंसते रहना मुश्किल बहुत है
लबों के जख्म तुम्हें नजर नही आते
एक मुद्दत से खुद से खफा हूँ दोस्त
छोटी सी बात समझ क्यों नही जाते
हैरत में हूँ अब तलक उम्मीदजदां हो
औरो की तरह बदल क्यों नही जाते
अरसे बाद मिलने जब आ ही गए हो
कुछ रोज इधर ठहर क्यों नही जाते
© अजीत
बढ़िया ।
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