Friday, September 5, 2014

गजल

किस्सें गमों के हम किस को सुनाते
दोस्त उदासी को अच्छी नही बताते

हर वक्त हंसते रहना मुश्किल बहुत है
लबों के जख्म तुम्हें नजर नही आते

एक मुद्दत से खुद से खफा हूँ दोस्त
छोटी सी बात समझ क्यों नही जाते

हैरत में हूँ अब तलक उम्मीदजदां हो
औरो की तरह  बदल क्यों नही जाते

अरसे बाद मिलने जब आ ही गए हो
कुछ रोज इधर ठहर क्यों नही जाते

© अजीत 

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