Tuesday, March 24, 2015

विकल्प



विकल्पों के
मध्यांतर पर
सबसे ज्यादा होतें है
शब्द खर्च
उलझ जातें हैं भाव
नजदीक और दूर के
चेहरों के बीच
विकल्प दरअसल
मनुष्य की ऊब है
एक बेहतर शक्ल में।
***
नदी शिकायत नही करती
धरती भी नही करती
सहती है पहाड़ का बोझ
हवा फैलाती है अफवाह
मौसम करता है षड्यंत्र
रेत उड़ता है बिखरने के लिए
मनुष्य जीता है मरने के लिए
विरोधाभास जरूरी है
प्रासंगिक बनें रहने के लिए।
***
बीज
दुनिया का सबसे अकेला जीव है
कोई नही पूछता
उसके एकांत के किस्से
जन्म देकर
सो जाता है वो
मिट्टी और नमी के बीच
जन्म देकर जैसे
सबसे अकेली हो जाती है स्त्री।
***
रास्ते
इन्तजार में बूढ़े हो जाते है
उनके संग्रहालय में
कदमों के असंख्य निशान सुरक्षित है
जब कोई रास्ता मरता है
बचें रास्तें गातें है शोकगीत
मिटाते उन कदमों के निशान
जो लौट कर कभी नही आतें।
***
कला के उपक्रम
देह की तलाशी लेतें है
सौंदर्य महज एक आकार नही
वो एक गुमशुदा पता है
जिसे खोजतें है हम
अनुभव की दराज़ में
जब नही मिलता तो
कह देते है बड़ी आसानी से
दरअसल
समझें नही तुम।
***
आसान चीजें
उतनी आसान भी नही होती
जितनी दिखती है
ठीक वैसे
जैसे मुश्किल चीजें
उतनी मुश्किल नही होती
जितनी नजर आती है
जीनें की वजह तलाशना
मौत की वजह तलाशनें से
अधिक मुश्किल काम है
साहसी व्यक्ति जी पातें हैं
दुस्साहसी कर पातें है आत्महत्या
और भगौड़े बांट पातें है
केवल ज्ञान।
***
झूठ बचाता है
उम्मीद
सच बचाता है
झूठ की सम्भावना
सच और झूठ
एक दुसरे के संस्करण है
इसलिए भरम में
मुश्किल हो जाता है
सच और झूठ का फैसला
मसलन आपका दिल बोले सच
और दिमाग उसी को कह दें झूठ।

© डॉ.अजीत

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