Wednesday, March 25, 2015

संयोग

मुमकिन है
किसी दिन लौटना न हो
या फिर रास्ता भूल जाऊं
मिलनें की इच्छाशक्ति
बदल जाए अजनबीपन में
इसलिए
इन्तजार मत करना
केवल इतना सोचना
दुनिया गोल है
पहला रास्ता मिल जाता है
आख़िरी रास्ते से
दुनिया के सभी रास्तें
मिलते है एक दुसरे से
इसलिए जो भी गुमशुदा है
वो आमनें सामनें जरूर पड़ेंगे
एकदिन
एक दुसरे को पहचान पायें या नही
यह वक्त और संयोग की बात है।

© डॉ.अजीत 

1 comment:

  1. पहचान ना भी हो पाए तो क्या...आपके शब्द और विचार तो अविस्मर्णीय और अमिट रहेंगे हमारे जेहन में... अद्वितीय

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