Monday, April 11, 2016

खतरा

सड़क पर मैं अकेला नही चलता हूँ
मेरा साथ खतरा भी चलता है
खतरा मेरे कान में कहता है
सम्भल कर चल मित्र
कोई तुझे रोंद भी सकता है
मैं हंसते हुए कहता हूँ
मुझे कोई क्या रोंदेगा
मैं तो पहले से तरल हूँ
इस पर खतरा मेरी गर्दन पर पीछे
एक चपत लगा कहता है
चल झूठे!
और उड़कर बैठ जाता है
किसी दूसरे मुसाफिर के कन्धे पर
उसके जाने पर मैं बाय नही कहता
जबकि इस मुलाकात में
उसनें मुझे बड़ी आत्मीयता से
कहा था मित्र।

© डॉ.अजित 

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