Sunday, February 11, 2018

गहरा एकांत

उसके जीवन में
मैं अपने जैसा
अकेला नही था
यह बात सालती थी बहुत

न जाने क्यों
मैं यह चाहता था
उसके परिचय के
आंतरिक वलय में
सबसे निकटतम
रहूँ मैं अकेला

उसे यह बात
कभी कह नही पाया
यह मेरे जीवन का स्थायी खेद है

उसके पास नही थे
मेरे लिए सम्वाद का कोई
संरक्षित संस्करण
मैं चाहता था
वो कुछ शब्द रखें बचाकर
केवल मेरे लिए

उन शब्दों को विषय प्यार हो
ऐसा भी कभी नही चाहा मैंने

ऐसा क्यों चाहता था मैं
नही पता मुझे
बस इतना जरूर पता है
उसे भीड़ से घिरा देखकर
महसूस होता था
जीवन का सबसे गहरा एकांत।

©डॉ. अजित

4 comments:

  1. ऐसा क्यों चाहता था मैं
    नही पता मुझे
    बस इतना जरूर पता है
    उसे भीड़ से घिरा देखकर
    महसूस होता था
    जीवन का सबसे गहरा एकांत।
    सुंदर !

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