उसके जीवन में
मैं अपने जैसा
अकेला नही था
यह बात सालती थी बहुत
न जाने क्यों
मैं यह चाहता था
उसके परिचय के
आंतरिक वलय में
सबसे निकटतम
रहूँ मैं अकेला
उसे यह बात
कभी कह नही पाया
यह मेरे जीवन का स्थायी खेद है
उसके पास नही थे
मेरे लिए सम्वाद का कोई
संरक्षित संस्करण
मैं चाहता था
वो कुछ शब्द रखें बचाकर
केवल मेरे लिए
उन शब्दों को विषय प्यार हो
ऐसा भी कभी नही चाहा मैंने
ऐसा क्यों चाहता था मैं
नही पता मुझे
बस इतना जरूर पता है
उसे भीड़ से घिरा देखकर
महसूस होता था
जीवन का सबसे गहरा एकांत।
©डॉ. अजित
मैं अपने जैसा
अकेला नही था
यह बात सालती थी बहुत
न जाने क्यों
मैं यह चाहता था
उसके परिचय के
आंतरिक वलय में
सबसे निकटतम
रहूँ मैं अकेला
उसे यह बात
कभी कह नही पाया
यह मेरे जीवन का स्थायी खेद है
उसके पास नही थे
मेरे लिए सम्वाद का कोई
संरक्षित संस्करण
मैं चाहता था
वो कुछ शब्द रखें बचाकर
केवल मेरे लिए
उन शब्दों को विषय प्यार हो
ऐसा भी कभी नही चाहा मैंने
ऐसा क्यों चाहता था मैं
नही पता मुझे
बस इतना जरूर पता है
उसे भीड़ से घिरा देखकर
महसूस होता था
जीवन का सबसे गहरा एकांत।
©डॉ. अजित
सुन्दर
ReplyDeleteऐसा क्यों चाहता था मैं
ReplyDeleteनही पता मुझे
बस इतना जरूर पता है
उसे भीड़ से घिरा देखकर
महसूस होता था
जीवन का सबसे गहरा एकांत।
सुंदर !
निःशब्द
ReplyDeleteनिःशब्द
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