मुझे तुम्हारे गले लगना था
एकबार
ताकि मैं बांच सकूं
नदी की तलहटी से
लौटते हुए बंसत के खत
और सुना सकूं
हवा को धरती की धूल के
दो प्यार भरे गीत
मुझे तुम्हारे गले लगना था
एकबार
ताकि मैं स्वप्न को बचा सकूं
नींद के सघनतम आलोक और
भोर की भूल से
मुझे तुम्हारे गले लगना था एकबार
यह कथन कोई मलाल नही
फिर यह क्या है
तुम बेहतर समझती हो
नींद की बड़बड़ाहट की तरह
मैं दोहराना चाहता हूँ यह बार-बार
मुझे तुम्हारे गले लगना था
एकबार।
©डॉ. अजित
एकबार
ताकि मैं बांच सकूं
नदी की तलहटी से
लौटते हुए बंसत के खत
और सुना सकूं
हवा को धरती की धूल के
दो प्यार भरे गीत
मुझे तुम्हारे गले लगना था
एकबार
ताकि मैं स्वप्न को बचा सकूं
नींद के सघनतम आलोक और
भोर की भूल से
मुझे तुम्हारे गले लगना था एकबार
यह कथन कोई मलाल नही
फिर यह क्या है
तुम बेहतर समझती हो
नींद की बड़बड़ाहट की तरह
मैं दोहराना चाहता हूँ यह बार-बार
मुझे तुम्हारे गले लगना था
एकबार।
©डॉ. अजित
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी
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