Friday, November 29, 2019

कविता काल

मैंने कविता का नही
कविता ने मेरा चुनाव किया था

कविता ने खुद तय किया था
अपना रुकने का काल

मैं इतना मुग्ध था कविता के
इस निर्णय पर
कि लिखता गया सबके मन की बात
अपने मन की बात

दरअसल, मैंने कुछ भी नही लिखा
सब लिखा हुआ कहीं पहले से
मैं जरिया भर था
शब्दों को आकर देने का

मैंने कोई कविता नही लिखी
कविता ने मेरे जरिए लिखी अपनी बात

मेरे अंदर कभी न उपज सका
एक कवि जितना आत्मविश्वास
नही कर सका मैं कोई नियोजन
ताकि लोक में मुझे समझा जाए कवि

यह कविता का ही था कोई प्रयोजन
ईश्वर जाने!

अब जब कविता नही है मेरे पास
मैं खुद को देखता हूँ अवाक

जब कोई पढ़वाता है
मेरी कविता मुझे
और करता है प्रशंसा

मैं देखता हूँ आसमान की तरफ
यह सोचकर

कविता मुझे यूं देखकर
जरूर मुस्कुराती होगी।

© डॉ. अजित

Wednesday, November 27, 2019

बदलाव


उसने कहा
तुम्हारी आदतें बदल गई कुछ
इस बात मुझे खुश होना चाहिए
मगर मुझे अच्छा नही लग रहा है

कुछ आदतें कभी नही बदलनी चाहिए

इस बात का अहसास अब हुआ है मुझे

मैंने कहा
बदलाव जीवन का सच है

मगर ज़िन्दगी जीने के लिए हमेशा हमें
चाहिए होता है कुछ प्रतिशत झूठ

इस प्रतिशत को निचोड़ा जा सकता है
वर्तमान और भविष्य से बारी-बारी
उसने कहा

फिर मैंने कुछ नही कहा
और देखा बदलाव को सूखते हुए
कामना के तार पर  
धूप और हवा के बिना.

© डॉ. अजित