अब जीने का रोजाना अन्दाज बदलना पडता है
भीगें पर वाले परीन्दे को परवाज़ बदलना पडता है
जवाब उनसे मांगू क्या अपनी हसरत का
रिश्तों का लिहाज करके सवाल बदलना पडता है
अंजाम का अब डर ज्यादा है पहले से
ख्याल आने पर आगाज़ बदलना पडता है
मिलकर खो जाने का डर वो कब कह पाया
अब कहता है तो ज़ज्बात बदलना पडता है
महफिल मे जान आ जाती थी जिसके आने से
अब मिलने पर उसको नाम बदलना पडता है
वक्त के फिकरे जब कस जातें है
बिकना है तो अपना दाम बदलना पडता है
डा.अजीत