वो स्व निर्वासन पर था
ईश्वर ने उसे बाध्य किया था
युद्धों की रपट भेजने के लिए
षड्यंत्रो की मुखबरी करने के लिए
शान्ति के असफल प्रयासों के लिए
भूख और खुशी का सूचकांक
उसे एक परचे पर लिख भेजना था
उसे मनुष्य के अधोपतन की
निष्पक्ष समीक्षा लिखनी थी
मनुष्य के तटस्थ होने के कौशल की वजह जाननी थी
उसे धर्म के आतंक के किस्सों से
ईश्वर के लिए रूपक लिखना था
ताकि भरी सभा अट्टाहस से हंस सके
उसे ईश्वर को एक अनुमान भेजना था
मौसम की तरह
मगर उसके पास उपग्रह से प्राप्त चित्र नही थे
धरती का एक हिस्सा बेहद गर्म था
एक बेहद ठंडा
वो बिना रीढ़ के गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ लड़ रहा था
उस पर ईश्वर का दबाव था
तैर कर दुनिया देखने के लिए
वो कवि वैज्ञानिक ज्योतिषी
सबसे मिलकर जानना चाहता था इस ग्रह का भविष्य
ताकि उसकी रपट ईश्वर का विश्वास जीत सके
और उसके जीने की सजा विस्तार पाती रहे
वो ईश्वर का सजायाफ्ता कैदी था
जिसे बुद्धिमान मनुष्य
कहा जाता था इस ग्रह पर
जिसका नाम पृथ्वी है।
© अजीत
वाह बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteउस परम परमात्मा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता . सब उसके इशारों पर चलते हैं लेकिन पता नहीं चलता किसी को
ReplyDeleteबहुत सुन्दर