Friday, April 24, 2015

गंभीर

अचानक हो जाना
किसी का गंभीर
जीवन से
खो जाना कौतुहल का
परिपक्वता की निशानी
नही होता है हर बार
सम्भव है खो गई हो उसकी
दराज़ की चाबी
घिसी हुई चप्पल
या कोई पुरानी शर्ट
गम्भीरता डराती भी है कई बार
जैसे इसका सहारा लेकर
कोई करेगा अपनी अंतिम घोषणा
और बदल लेगा मार्ग
हर बार गंभीर होने का अर्थ
समझदार होना नही होता है
गंभीरता में आदमी भूल सकता है
बढ़े हुए बाल नाखून और दाढ़ी
भूल सकता है
प्रेम और प्रेम के वादें
बड़ी सहजता के साथ
कभी कभी हंसते हंसते अचानक से
बिना निमंत्रण के आई गम्भीरता
बताती है कोई चीज जरूर है
जिसे लगातार आपत्ति होती है
हमारी उन्मुक्त हंसी पर
इसलिए गम्भीरता लगनें लगती है
आपत्ति से मिलती जुलती कोई चीज़
ये खुद से आपत्ति है या दूसरे से
इसका अंदाज़ा
गम्भीरता से लगाया जा सकता तो
कुछ लोग
पहले से अधिक या कम
गम्भीर होते आज।

© डॉ. अजीत

8 comments:

  1. गंभीरता के जाने कितने मायने!!

    ReplyDelete
  2. नितांत अकेले में आपको पढना अच्छा लगेगा ..बधाई !

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुन्दर डा साहब ।

    ReplyDelete
  4. गंभीर होना और लगना अलग बाते हैं।

    ReplyDelete