Sunday, December 30, 2018

कैप्शन

वो हमेशा खराब
कैप्शन देने के लिए
जाना जाता था

सारांश उसकी
समझ से परे था
वो हमेशा जीता रहा सार को
जीवन समझकर

हंसी को वो कह देता रात
मुस्कान को वो कहता था चिड़िया
रोने के लिए वो चस्पा कर देता
स्माइली

चाहे जीवन हो या कविता
उसके शीर्षकों में हमेशा रहा
सम्प्रेषणदोष

वो प्यार को कहता था दोस्ती
और नाराज़गी को लिख देता था
अधिकार

गुस्से में वो हँसता था विद्वानों की तरह
नि:सहायता में देने लगता था सलाह

खराब फोटो के लिए उसे
अक्सर माफ कर दिया
उन दृश्यों ने जो किए गए थे कैद

क्योंकि
वो हमेशा लेता था उनकी अनुमति
क्लिक करने से पहले

उसके कैप्शन से जो
विकसित किए गए अर्थ
वो हुए गल्प साबित बाद में

इसलिए जिन्होंने उसे पढ़ा
उसके क्लिक किए फोटो देखें
और नजरअंदाज कर दिए कैप्शन

वो जानते है यह बात कि
खत्म करने के बाद भी
उसके पास कितना रह जाता था
कितना अनकहा

खराब कैप्शन उसी की
एक बानगी भर थी
इसलिए यदि सारे कैप्शन
रख दिए जाएं एक पंक्ति में
वो लगेंगे एक कविता के जैसे

एक ऐसी कविता
जो किसी कविता का सार नही है।

©डॉ. अजित

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