Friday, January 11, 2019

मोक्ष

एक छोटा सा जीवन मिला था
कितना कुछ करना था उसमें
एक पूरा जीवन तो चाहिए था
केवल प्रेम के लिए

प्रेम करने के जो संस्मरण थे
मेरे पास
वो दरअसल
प्रेम को जानने के दावें भर थे

प्रेम ठीक वहीं से होता था
आरम्भ
जहां से सारे दावें हो जाते थें
समाप्त

एक जन्म में मैं केवल
प्रेम करूँगा
फिर शायद बता सकूंगा
ईश्वर के बारें-बारें में
वो सब बातें
जो खुद ईश्वर भी नही जानता था
अपनें बारें में

मुझे भय है
कहीं इसी डर से ईश्वर
इसी जन्म में मुझे न दे दे
मोक्ष

© डॉ. अजित

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