अभी तुम्हारा ख्याल आया
और तुम आ गए
एक चिट्ठी की तरह
मैंने डाकिए से
किसी बुजुर्ग की तरह नही पूछा
तुम्हें आने में कितना वक्त लगा
मैंने तुम्हे चिट्ठी की तरह पढ़ा
बल्कि कम लिखे को अधिक पढ़ा
जब तुम आए
मैं गा रही थी एक लोकगीत
जिसमें याद किया जाता है
सबसे पहला प्रेमी
तुम देख
मुझे याद आया
मेरा सबसे पहला प्रेमी
जब तुम जाने लगे
हवा की तरह
मेरा जी हुआ बन जाऊं
एक चट्टान और बदल दूं
तुम्हारी दिशा
मगर मैं बन गई एक नदी
जिसमें बहा दी जाती है
पुरानी चिट्ठियां
और अर्घ्य दिया जाता है
अपने ज्ञात देवताओं को
तुम चिट्ठी की तरह आए
और पानी की तरह चले गए
मैं बस देखती रह गई
सतह की काई
और आकाश की ऊंचाई
मुझे तुम्हारे साथ उड़ना था
फिसलना भी था
मगर गिरना नही था
इसलिए
तुम्हें बन्द किया लिफाफे की तरह
चिपकाकर आँसुओं के गोंद से
और रख दिया तकिए के नीचे
ताकि नींद में तुम आओ
चिट्ठी की तरह नही
किसी भोर के उस सपनें की तरह
जो किसी को बताया न जा सके।
©डॉ. अजित
और तुम आ गए
एक चिट्ठी की तरह
मैंने डाकिए से
किसी बुजुर्ग की तरह नही पूछा
तुम्हें आने में कितना वक्त लगा
मैंने तुम्हे चिट्ठी की तरह पढ़ा
बल्कि कम लिखे को अधिक पढ़ा
जब तुम आए
मैं गा रही थी एक लोकगीत
जिसमें याद किया जाता है
सबसे पहला प्रेमी
तुम देख
मुझे याद आया
मेरा सबसे पहला प्रेमी
जब तुम जाने लगे
हवा की तरह
मेरा जी हुआ बन जाऊं
एक चट्टान और बदल दूं
तुम्हारी दिशा
मगर मैं बन गई एक नदी
जिसमें बहा दी जाती है
पुरानी चिट्ठियां
और अर्घ्य दिया जाता है
अपने ज्ञात देवताओं को
तुम चिट्ठी की तरह आए
और पानी की तरह चले गए
मैं बस देखती रह गई
सतह की काई
और आकाश की ऊंचाई
मुझे तुम्हारे साथ उड़ना था
फिसलना भी था
मगर गिरना नही था
इसलिए
तुम्हें बन्द किया लिफाफे की तरह
चिपकाकर आँसुओं के गोंद से
और रख दिया तकिए के नीचे
ताकि नींद में तुम आओ
चिट्ठी की तरह नही
किसी भोर के उस सपनें की तरह
जो किसी को बताया न जा सके।
©डॉ. अजित