Monday, March 14, 2016

मध्य प्रेम

कोई भौतिकी का नियम नही बता सकता
दो लोगो के मध्य प्रेम समाप्त होने के बाद की गति
समय रच देता है एक विचित्र किस्म का भरम
जो होता है वो दिखता नही है
जो दिखता है वो घटित हो रहा होता है
अलग अलग अंतरालों में
अलग अलग आवृत्ति के साथ
प्रेम का समाप्त होना कोई रसायनिक घटना नही
इसलिए नही बन सकी कोई ऐसी परखनली
जिसमे जरिए नापी जा सके प्रेम की तरलता
जब दो लोगो के मध्य प्रेम होता है समाप्त
धरती होती है उस वक्त सबसे निराश
आसमान देखता है होकर एकटुक निरुपाय
जब दो लोगो के मध्य प्रेम होता है समाप्त
ठीक उसी वक्त समाप्त हो जाती है
हवाओं से बातचीत
नदियों से दोस्ती
और बारिशों से रंजिश
हैरत की बात ये भी होती है
धीरे धीरे उनवान चढ़ा प्रेम
किस तरह से अचानक
एक दिन एक पल में हो जाता है समाप्त
दो लोगो के मध्य समाप्त हुए प्रेम का अयस्क
गाहें बगाहें चुभता है नींद और ख़्वाबों में
आंसूओं में शामिल होता है इसका स्वाद
दो लोगो के मध्य समाप्त हुए प्रेम से अधिक
लावारिस कुछ नही होता दुनिया में
जो कभी दोनों का रहा होता है
फिर वो नही बचता किसी के लिए भी।

©डॉ.अजित

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