Tuesday, May 31, 2022

मुद्दत

 मैं मुद्दत से नहीं सोया

वैसी नींद

जिसके बाद उठकर हँसना अच्छा लगे


मैं मुद्दत से नहीं रोया उस तरह

कि लगे धुल गए मर के सब संताप


मैं मुद्दत से नहीं मिला किसी से उस अंदाज़ में

कि एक बार फिर से मिलने की बची रहे इच्छा


मैंने मुद्दत से नहीं की ऐसी यात्रा 

जिसे बार-बात बताने का दिल करे दोस्तों को 


मैंने मुद्दत से नहीं बता पाया मैं किसी को

दिल की ऐसी कोई बात जिसे सुन चुप्पी लग जाए


मुद्दत से करता रहा हूँ उपरोक्त सभी काम 

मगर मुद्दत से नहीं किया एक भी काम 

जैसा करना चाहिए था मुझे 


मुद्दत से मेरे अंदर एक खेद है 

जिसे नहीं दे पाता मैं कोई एक आकार


मुद्दत से मैंने ऐसी कविता नहीं लिखी 

जिसे लोग पढ़े कविता की तरह और समझे एक कहानी


मुद्दत से मैं देख रहा हूँ शून्य में

बिना किसी दार्शनिकता के 


सम्भव है


मुद्दत बाद जब यह बात पढ़ेंगे लोग

तो शायद कहेंगे एक स्वर में यह एक बात


मुद्दत से दिखा नहीं है ऐसा कोई शख्स

मुद्दत से मिला नहीं है यह शख्स।


©डॉ. अजित



Sunday, May 29, 2022

सपने

 तुम आज तक कभी

मेरे सपने में नहीं आई

इसका एक अर्थ यह भी

निकाला जा सकता है कि

तुम्हारे साथ मेरी कोई वर्जना

या दबी हुई कामना नहीं जुड़ी है


मैंने शायद ही कभी यह चाहा हो कि

तुमसे मिलने जाना है मुझे फलां दिन 


तुम मेरे जीवन में 

एक आकस्मिकता की तरह घटित हुई

और उसके बाद हमने चलना शुरू किया

साथ-साथ 


हमने लांघे कई बसन्त

बिना किसी रोमानी कल्पना के 

हमें भीगें बेमौसमी बारिश में 

अपनी गति को बिना बदले 


हमने नहीं बनाया सुख का कोई यूटोपिया

हमने नहीं रचा दुःख का कोई भाईचारा 


हमने औसत बातें की

परनिंदा में नहीं जगी 

हमारी कभी दिलचस्पी


हम हँसते रहे अपनी ही बेवकूफियों पर अक्सर

नहीं पूछा एक दूसरे से क्या मुझसे प्रेम है तुम्हें?


तुम सपने में नहीं दिखी

इसका यह मतलब नहीं हुआ कि

तुमसे कोई सपना नहीं जुड़ा था मेरा


उस इकहरे सपने को देखने लायक 

गहरी नींद नहीं थी मेरे पास


यह बात मैंने लिखी 

ठीक उस वक्त जब मैंने 

भोर में देखा एक सपना 


जिसमें किसी ने बताया मुझे कि

तुम्हें लगातार सपने में दिखने लगा हूँ मैं।


©डॉ. अजित


Thursday, May 5, 2022

वहाँ

 वहां कोई मार्ग नहीं था

मार्ग तलाशने की एक

उत्कट अभिलाषा थी


वो कोई व्यक्ति नहीं था

मगर दो व्यक्ति यह दावा करते

कि वहाँ कोई तीसरा भी है


वहां स्मृतियाँ थी उलझी हुई

जिसे सुलझा कर नहीं दिया का सकता था

एक अनुरागी अतीत का नाम 


वहाँ जो भी था 

उसे देखने के लिए

अलग-अलग तरीके थे 


उन तरीको को देख 

कही जा सकती थी एक ही बात

यह भी कोई तरीका हुआ भला


यह बात कहने वाले 

वहां के नहीं यहां के लोग थे

ये थी जरूर एक अच्छी बात।


©डॉ. अजित