Friday, April 29, 2022

बात

 उन दोनों के मध्य

अचानक से खत्म हो गयी थी बात

जैसे खत्म हो जाती है

देहात को जाती छोटी सड़क


जैसे खत्म हो जाती है

किसी बच्चे की कच्ची पेंसिल

जैसे खत्म हो जाती है

रसोई की बची अंतिम रोटी 

भूख से ठीक पहले


जब अचानक से खत्म हुई बात

तो बचा रहा एक निर्वात से भरा शून्य


जहां खो जाती थी ध्वनि

जहां इनकार कर देते थे शब्द आकार लेने से


उन्होंने टटोली अपनी अपनी स्मृतियां

नहीं बचा था वहां एक ऐसा शब्दकोश


जो दे सकता किसी ज्ञात शब्द को

नया अर्थ 

और शुरू पाती कोई पुरानी बात

एक नए अर्थ के साथ।


©डॉ. अजित 

Friday, April 22, 2022

धरती

 धरती के अस्तित्व को लेकर

मौजूद हैं तमाम 

वैज्ञानिक व्याख्याएं

मगर कोई व्याख्या नहीं बताती

यह एक बात कि

किस आधार पर निरापद होकर

धरती करती है

हमारे तमाम गुनाह माफ

**

जल और वायु

धरती पर मिलते हैं प्रचुर 

धरती पर नहीं मिलता 

इन का सम्मान करने वाला।

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धरती घूमती है 

नियत गति और दिशा में

धरती पर घूमता है मनुष्य

अनियंत्रित और दिशाहीन

धरती यह देखकर भी 

नहीं होती निराश

इसलिए धैर्य को माना गया 

धरती का पर्यायवाची।

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ज्योतिषी बताते हैं

नौ ग्रहों के अलग-अलग प्रभाव

अलग-अलग उपचार 

कोई नहीं बाँचता 

धरती के प्रभाव का फलादेश 

धरती मनुष्य को करने देती है

सभी ग्रहों का उपचार

इस बात के लिए 

रखनी चाहिए धरती के प्रति कृतज्ञता।

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धरती से हम देख सकते हैं

चांद, सूरज और तारें

धरती पर देख सकते हैं 

पहाड़,नदी और समंदर 

मगर 

धरती को नहीं देखते एक भी बार 

उस तरह

जिस तरह देखी जानी चाहिए धरती सदा।

**

धरती में जब मिल जाता है 

मनुष्य 

तब उसे किया जाता है याद

उसकी अच्छाईयों के लिए

इस तरह 

हमारी स्मृति से धरती करती है अलग

मनुष्य की मानवीय कमजोरियां।

**

जब मनुष्य नहीं था

तब भी थी धरती

जब मनुष्य नहीं रहेगा

तब भी रहेगी धरती 

मनुष्य जमाता है अधिकार 

धरती देखती है 

माँ की तरह खुद को बंटता हुआ।

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धरती को बचाने के तमाम नारे

निष्फल हुए सिद्ध 

धरती को संभालने का 

करना चाहिए था जतन

अफसोस हम लग गए

धरती को बचाने में

जोकि असम्भव है।


©डॉ. अजित 




Tuesday, April 5, 2022

आवृत्तियाँ

 

सम्बन्धों में किया गया निवेश

एकदिन जीरो हो जाता है

उस दिन जीरो से प्यार होता है हमें

यही जीरो बताता है हमें कि

प्रेम हो या गणित

स्थान सबसे महत्वपूर्ण चीज है

जिसके बदलने पर बदल जाते

सारे के सारे मान.

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उसके हिस्से में आदर आया

अधिकार भी आया

मैत्री भी आयी अलग-अलग शक्ल के साथ

अलग-अलग अवसरों पर

प्रेम इसलिए नहीं आया उसके पास  

क्योंकि प्रेम उसकी तलाश में नहीं था.

**

कुछ समय तक बातें अच्छी लगी

कुछ समय तक मुलाक़ात का मन बना रहा

कुछ समय तक दोनों को लेकर उत्साह रहा

फिर एक समय बाद

दोनों ही अनुपस्थित हो गए जीवन से

यही वो समय था

जो आता रहा भेष बदलकर बार-बार.

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चाहना में निरंतरता बचाकर रखना चुनौतिपूर्ण था

निरंतरता को देखना भी कम मुश्किल नहीं था

मगर

सबसे मुश्किल था

धुएं की शक्ल में भरी धूप में

किसी के जीवन से ओझल हो जाना

यकायक.

**

स्पर्शों को यदि संरक्षित किया जा सकता

मन के अतिरिक्त कहीं

तो वो दुनिया का सबसे गीला कोना होता.

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दूर से आवाज़ दी सकती है

उसे भी जो भले ही नजदीक हो  या दूर

दूर से देखा जा सकता है उसे भी

जो भले ही मीलों दूर

दूर से निकटता महसूस की जा सकती है

बिना किसी शर्त के साथ

मगर

दूर से कोई यह नहीं बता सकता

कि वो उससे कितनी दूर है फिलहाल.

© डॉ. अजित