Wednesday, December 28, 2016

झूठ

झूठ सिर्फ मैं प्रेम में बोलूंगी
इतना भर झूठ कि
तुमसे नफरत और प्रेम
एक साथ किया मैंने
रख दूंगी
छटांक भर मुस्कान
गुमशुदा चेहरे पर
ताकि मुझे खुश देख
तुम महसूस कर सको
आसपास बिखरी छोटी छोटी खुशियां
प्रेम में इतना झूठ जरूर बोलूंगी
तुम्हें कितनी दफा
भूलने के लिए संकल्प
मगर नही भूल पाई कभी
प्रेम में झूठ बोलना जरूरी है मेरा
क्योंकि
प्रेम में बोला गया सच
एकदिन शापित होता है
झूठ बन जाने के लिए।

© डॉ.अजित